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लव जिहाद: एक सांस्कृतिक हमला

आपका चिंतन
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लव जिहाद आज हमारे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. जिहाद एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है इस्लाम के लिये जद्दोजहद करना. सामान्यतः इसका नकारात्मक अर्थ निकला जाता है तथा इसे आतंकवाद से जोड़ कर देखा जाता है. जिहाद शब्द का उल्लेख कुरान में भी है. जिहाद से सम्बंध रखने वाले व्यक्ति को मुज़ाहिद कहा जाता जाता है जिसका बहुवचन है मुजाहिद्दीन. इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे नाम के आतंकवादी संगठन होने के कारण भी ऐसा लगता है कि जिहाद और मुजाहिद्दीन जैसे शब्द आतंकवाद से सम्बंधित है.

लव जिहाद की घटनाएँ पहले भी होती रही है परंतु यह तब अधिक चर्चा का विषय बन गया जब रांची की तारा शाहदेव का उसके ही पति रणजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन द्वारा जबरन इस्लाम कबूल कराने का मामला सामने आया. पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें लगातार आ रही है कि आईएसआई और कुछ आतंकवादी संगठन भारत में लव जिहाद जैसा कोई षड्यंत्र चला रहे है. इसमें मुस्लिम लड़के हाथ में कलावा तथा गले में भगवान का लॉकेट पहनते है और अपना हिन्दू नाम बताते हैं. वे साजिस के तहत हिन्दू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाते है और उनसे शादी करते हैं. शादी के बाद उन्हें जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता है. इस तरह की घटनाएं हमारे देश में अक्सर होती रहती है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटना आम बात है. एक निजी न्यूज़ चैनल के रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई है कि इन लड़कों को ऐसा करने के लिए पैसे भी दिए जाते है. यदि इस तरह कि घटनाओं के पीछे किसी आतंकवादी संगठन का हाथ है तो इसे भारत की संस्कृति पर हो रहे हमले के रूप में देखना चाहिए.

लव जिहाद जैसे विषय को मुद्दा बनाकर हमारे देश के राजनीतिक संगठन अपनी सियासी रोटियाँ सेकने में लग गए है. एक तरफ जहां भाजपा इसे मुद्दा बनकर वोटों के ध्रवीकरण में लग गई है वही दूसरी तरफ कांग्रेस समेत अपने आप को सेक्युलर कहने वाले अन्य राजनीतिक दल यहाँ भी तुष्टिकरण में लगे हुए है तथा उनका कहना है कि लव जिहाद जैसे शब्द का प्रयोग ही नहीं होना चाहिए. यदि लव जिहाद जैसी घटनाएँ लगातार हो रही है तो यह एक समस्या का विषय माना जाना चाहिए न कि इसपर राजनीति की जानी चाहिए. यदि कोई आतंकवादी संगठन हमारे देश के मुस्लिम युवकों को हिन्दू लड़कियों के धर्मांतरण के लिए लव जिहाद जैसे षड्यंत्र रचता है तो यह देश के लिए चिंता का विषय है. इस तरह के सांस्कृतिक हमलों में उन मुस्लिम युवकों की भूमिका ठीक वैसी ही है जैसा कि आतंकवादी हिंसक घटनाओं में स्लीपर सेल्स की होती है. हालांकि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि लव जिहाद और आतंकवादी हिंसक घटनाएँ, दोनों को एक ही तराजू में तौला जाए परंतु यह भी सच है कि जिस तरह आतंकवादी हिंसक घटनाओं में कई लोगों की जानें जाती है उसी प्रकार लव जिहाद जैसी घटनाओं से समाज में तनाव बढ़ता है जिसके फलस्वरूप धार्मिक दंगे होते है जिनमें कई निर्दोष लोग मारे जाते है.

हमारा देश अनेकता में एकता का प्रतीक रहा है परंतु यह भी सच है कि सामाजिक मनमुटाव के कारण कई दंगे भी हुए है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबका साथ और सबका विकास की बात करते है. स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उन्होंने कहा था कि जातिवाद और संप्रदायवाद का जहर देश को आगे बढ़ाने में रुकावट है तथा हमें कम से कम दस साल के लिए यह तय करना चाहिए कि हम इन सारे तनावों से मुक्त समाज की ओर जाना चाहते है. लव जिहाद जैसी घटनाएँ समाज में तनाव पैदा करने का काम करती है और राजनीतिक दल इसपर राजनीति कर आग में घी डालने का काम करते है. यह एक सामाजिक बुराई है और चन्द लोग ही इस बुराई से जुड़े हैं, जिसे अब खत्म किया जाना चाहिए. इसे खत्म करने में हर धर्म की सहभागिता जरूरी है. राजनीतिक दलों को भी संवेदनशील होने की आवश्यकता है क्योंकि अब समय आ गया है कि हमसब मिलकर देश की चुनौतियों का सामना करें.

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