Menu
blogid : 18997 postid : 791741

नालन्दा विश्वविद्यालय-II

आपका चिंतन
आपका चिंतन
  • 27 Posts
  • 9 Comments

नालन्दा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत में शिक्षा तथा ज्ञान-विज्ञान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था. यह विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था जहाँ व्याकरण, शाल्यविद्या, योगशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, वेद, सांख्य, वेदांत आदि की शिक्षा दी जाती थी. यहाँ खगोलशास्त्र अध्ययन के लिए एक विशेष विभाग भी था. प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट भी कुछ वर्षों के लिए इस विश्वविद्यालय के प्रमुख रहे थे. तुर्की आक्रमणकारी बख़्तियार खिजली ने इस विश्वविद्यालय को जलाकर पूरी तरह से नष्ट कर दिया था.

कई सौ सालों बाद अब फिर से नालन्दा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित किया गया है. नालन्दा-II का पहला शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर, 2014 से शुरु हो चुका है परंतु यह भी सच है कि इसे दोबारा शुरु होने में काफी समय लग गया. इसे काफी पहले ही शुरु किया जाना चाहिए था. भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने 2006 में बिहार विधानसभा को संबोधित करते हुए नालन्दा-II का प्रस्ताव रखा था. यहाँ नालन्दा-II का आशय नालन्दा विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र पुनः आरम्भ करने से है.

बिहार विधानसभा द्वारा नालन्दा बिल पास किए जाने के बाद इस विश्वविद्यालय के पहले शैक्षणिक सत्र आरंभ होने में सात साल लग गए. आज़ादी के बाद देश में कई नए विश्वविद्यालय खोले गए परंतु नालन्दा विश्वविद्यालय के दोबारा खुलने में काफी समय लग गया. हमारे देश में कई अच्छे विश्वविद्यालय है परंतु विश्व की 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है. नालन्दा विश्वविद्यालय के दोबारा खुलने से यह उम्मीद की जा सकती है कि यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्व में भारत की पुरानी साख लौटाने में मददगार साबित होगा. नालन्दा विश्वविद्यालय पूरे विश्व में उच्च शिक्षा का केन्द्र उस समय था जब हार्वर्ड, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय नहीं थे. यदि नालन्दा विश्वविद्यालय बिना किसी अवरोध के संचालित रहता तो निश्चित रूप से यह वर्तमान में विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक होता.

अब जबकि नालन्दा विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र फिर से शुरु हो चुका है तो इसके सामने कई चुनौतियाँ होंगी. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के हर क्षेत्र में खुद को साबित करना तथा देश में ही कई वैश्विक स्तर के विश्वविद्यालयों से अलग अपना एक मुकाम हासिल करना नालन्दा विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी. शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्वर्णिम इतिहास के कारण भी नालन्दा विश्वविद्यालय के सामने अपनी पुरानी प्रतिष्ठा को बनाने तथा उसे कायम रखने की चुनौती होगी.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh