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विजय पुरुष नरेन्द्र मोदी

आपका चिंतन
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गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए विकास पुरुष के नाम से ख्याति प्राप्त करने वाले नरेन्द्र मोदी अब विजय पुरुष बन गये है. जिस तरह नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सफलता पाई तथा बतौर प्रधानमंत्री विरोधियों की आलोचनाओं के बावजूद महाराष्ट्र और हरियाणा में धुआंधार रैलियाँ कर भाजपा को दोनों राज्यों की नंबर एक पार्टी बनाया, यह कहीं न कहीं दर्शाता है कि नरेन्द्र मोदी और चुनावी जीत एक दूसरे के पर्यायवाची बन चुके है. केन्द्र की राजनीति में आने से पहले भी मोदी गुजरात में अपने नेतृत्व में भाजपा को तीन लगातार जीत दिला चुके है. यही नहीं गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले जब वह 1996 से 2001 तक 5 वषों के लिए हरियाणा में भाजपा प्रभारी थे तब उन्हीं की देखरेख में भाजपा ने 1999 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 5 सीटें जीती थी.

महाराष्ट्र में 122 तथा हरियाणा में 47 सीटें जीतने वाली भाजपा चुनाव पूर्व दोनों राज्यों में गठबंधन तोड़ने से पहले कुछ अलग ही स्थिति में नजर आ रही थी. महाराष्ट्र में शिवसेना जहां भाजपा को लड़ने के लिए 119 सीटें दे रही थी वहीं हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टी तथा लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही हरियाणा जनहित कॉंग्रेस केवल 45 सीटें ही दे रही थी. परंतु आज स्थिति अलग है, दोनों राज्यों में गठबंधन तोड़ने से भाजपा को निश्चित रूप से लाभ हुआ है जिसके फलस्वरूप भाजपा हरियाणा में पूर्ण बहुमत पाने में कामयाब रही तथा 122 सीट जीतकर महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को महाराष्ट्र में 46 सीटें मिली थी जबकि हरियाणा में केवल 4 सीट ही जीतने में सफल हुई थी.

इन दोनों राज्यों में मिली जीत से एक बार फिर साबित हो गया है कि लोकसभा चुनाव के बाद भी मोदी लहर बरकरार है. इन चुनाव नतीजों से उत्साहित भाजपा चाहेगी कि अब दिल्ली में भी विधानसभा भंग कराकर जल्द चुनाव कराई जाए ताकि इस लहर की बदौलत वहां भी सरकार बनाई जा सके. हालांकि भाजपा की इस आंधी की असली परीक्षा अभी हाल में होने वाले झारखण्ड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव तथा अलगे वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में होगी. बिहार में भाजपा का मुकाबला जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन से होगा. अगर अन्य राज्यों की बात की जाए तो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा तमिलनाडु ऐसे राज्य है जहां भाजपा की पकड़ बहुत कमजोर है. चूंकि भाजपा के लिए नरेन्द्र मोदी चुनाव जीताने के ऐसे ब्रांड बन गये है जो किसी अन्य राजनीतिक दल के पास नहीं है इसलिये भाजपा चाहेगी कि मोदी लहर की बदौलत इन राज्यों में भी अच्छी पैठ बनाई जाए. यही कारण है कि भाजपा अब पुराने गठबंधन तोड़ने से भी नहीं हिचकिचा रही है. बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा मोदी ब्रांड के सहारे जीत की लय को बरकरार रख पाएगी. हालांकि इसपर अंतिम फैसला तो देश की जनता को ही करना है परंतु इन चुनाव नतीजों से एक बात जरूर उभर कर सामने आई है वह है किसी भी परिस्थिति में नरेन्द्र मोदी की चुनाव जिताने की क्षमता.

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