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अच्छे दिन आये क्या?

आपका चिंतन
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आगामी 26 मई को मोदी सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हो जायेगा. किसी भी सरकार के मूल्याँकन के लिए एक वर्ष पर्याप्त वक्त नहीं होता परंतु एक वर्ष में सरकार की दशा और दिशा का पता तो चल ही जाता है. इस एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान कई बातें सामने आई. इस दौरान विकास दर में तेजी आई, विदेशी पूँजी भंडार बढ़ा, पेट्रोलियम उत्पादों की खपत बढ़ी और बैंकों में गैर निष्पादित परिसंपत्तियों का स्तर बढ़ा. मोदी सरकार के प्रथम वर्ष में आठ प्रमुख उद्योगों (कोयला, कच्चा तेल, प्रकृतिक गैस, रिफ़ाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली) की विकास दर 5 फीसदी रहीं. 2014-15 में विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है. कोयला उत्पादन 2014-15 में 8.2 फीसदी बढ़ा.

मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान कई अभियान आरंभ हुए तथा कई योजनाओं की शुरुआत हुई जिसे प्रधानमंत्री मोदी अपनी सफलता के परिचायक के रूप में गिना सकते हैं, जिनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान तथा स्वच्छ भारत अभियान प्रमुख है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का एक अहम मुद्दा भ्रष्टाचार तथा विदेशों में जमा काला धन वापस लाने का था. कॉंग्रेस के हार की प्रमुख वजह उसके शासनकाल में हुए कई बड़े घोटाले थे जिसके कारण यूपीए सरकार की छवि काफी खराब हुई थी. यदि हम मोदी सरकार के एक साल का आकलन करें तो यह सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अवश्य बाजी मारती दिखाई दे रही है क्योंकि अभी तक एक भी घोटाला सामने नहीं आया है. काला धन के मुद्दे पर सरकार उदासीन ही नजर आई है. हाँ चुनावी घोषणापत्र के मुताबिक संसद में काला धन बिल अवश्य पास किया गया. परंतु यह बिल ज्यादा प्रभावी नहीं बल्कि चुनावी वादों के कारण एक मजबूरी भर है क्योंकि यह इस मामलें में दोषी पाए गए अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए है न कि काला धन वापस लाने के लिए.

एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार द्वारा कई अध्यादेश लाये गए हालांकि ऐसा कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि राज्य सभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है परंतु इससे कहीं न कहीं सरकार की किरकिरी भी हुई. भूमि अधिग्रहण अधिनियम को संशोधित करने के लिए इसे अध्यादेश के रूप में लाया गया. विपक्ष इस बिल का अभी भी विरोध कर रहा है. मोदी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि उसकी विदेश नीति रही है. अब तक विदेश नीति और रक्षा नीति एक ही सिक्के के दो पहलू हुआ करते थे परंतु अब रक्षा नीति की जगह आर्थिक नीति ने ले ली है. पड़ोसी देशों से संवाद बढ़ा है. जापान के साथ रिश्तों में सुधार हुई है, वह भारत में 34 अरब डॉलर निवेश करने पर सहमत हुआ है. वियतनाम के साथ कूटनीतिक सम्बंधों में सुधार आया है और वियतनाम ने दक्षिणी चीन सागर पर तेल अन्वेषण का अनुबंध ओएनजीसी-विदेश के साथ किया. ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबोट को समझाने में सफल रहे जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा उत्पादन के लिए भारत को यूरेनियम सप्लाई करेगा. अभी हाल में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए चीनी दौरे को भी काफी हद तक सफल कहा जा सकता है. चीन के साथ हुए व्यापारिक समझौते से भारत को कई क्षेत्रों में इसका लाभ होगा जिसमें रेलवे, पर्यटन, आइटी सेक्टर प्रमुख है. कुल मिलकर देखा जाए तो मोदी सरकार विदेश नीति में काफी सफल रहीं है.

मोदी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान कुछ नकारात्मक बातें भी सामने आई, चाहे वह अल्पसंख्यकों पर किए गए जुबानी हमलें हो या घर वापसी जैसे विषय. भूमि अधिग्रहण बिल से भी किसानों के एक वर्ग में नाराजगी है. समाज के कुछ वर्ग को देखकर ऐसा लगता है मानो अच्छे दिन आ चुके है परंतु कुछ वर्ग ऐसा भी है जिनके लिए अच्छे दिन आना अभी भी किसी सपने से कम नहीं.

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